AMAN AJ

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आई नोट , भाग 32

    

    अध्याय-6
    द नाइट
    भाग-1
    
    ★★★
    
    शख्स अपने घर पर लैपटॉप में खोया हुआ था। तभी मानवी आई और थकी हारी अपना सामान सोफे पर रख दिया। शख्स ने घर का दरवाजा पहले से ही खुला छोड़ रखा था। मानवी के सम्मान रखते ही शख्स ने उससे कहा 
    
    “तुम्हारे लिए खुशखबरी है मानवी, आज पब्लिशर का फोन आया था, मैंने एक कहानी का प्लॉट दिया था तो वह उसे पसंद आ गई। इसके बाद उसने मेरे मुंह से कहानी सुनी, मैंने कहानी सुनाई तो उसने मुझे लिखने का कह दिया। अब मैं आने वाले दिनों में जल्दी से जल्दी कहानी पूरी लिखकर उसे देने वाला हूं। तुम देखना यह कहानी हमारी दुनिया बदल कर रख देगी। मैं जो भी कहानी लिखने जा रहा हूं वह कहानी आज से पहले किसी ने नहीं लिखी होगी।”
    
    “हां अच्छी बात है।” मानवी ने नॉर्मल सा एक्सप्रेसन दिया और किचन में जाकर पानी पीने लगी। उसका ध्यान सिर्फ और सिर्फ आशीष की बातों में था। वह उन सब के बारे में भी सोच रही थी जो उसने आज देखा। आशीष का अच्छा रहन सहन। उसके तौर तरीके। सबने उसे पूरी तरह से अपनी तरफ खींच लिया था।
    
    सोचते सोचते उसने किचन से अपने सामने मौजूद शख्स को काम करते हुए देखा। शख्स अपने चेहरे पर एक के बाद एक अलग अलग तरह के भाव लेकर आ रहा था। यह भाव उसकी कहानी को लेकर थे। उसकी कहानी और उसके अलग-अलग किरदारों को लेकर। 
    
    मानवी उसके पास आई और सोफे पर बैठते हुए शख्स से पूछा “तुम्हें आखिर कहानियां लिख कर क्या मिलता है, तुम इसकी जगह कोई और काम क्यों नहीं कर लेते?”
    
    शख्स ने यह सुना तो वह लिखता लिखता रुक गया। उसने मानवी की तरफ देखा और कहा “यह तुम कैसी बातें कर रही हो मानवी, तुम जानती हो ना लिखना मेरा पैशन है और मैं यह काम कभी नहीं छोड़ सकता।”
    
    “हां मगर तुम जानते हो ना एक लेखक को दुनिया कुछ भी नहीं समझती। उनके लिए लेखक होना सबसे कम दर्जे का काम है। किसी की नजरों में लेखक की वैल्यू नहीं होती।”
    
    शख्स मुस्कुराया और मानवी से कहा “मानवी, एक लेखक की वैल्यू लोगों की नजरों में नहीं बल्कि उसके पाठकों की नजरों में होती है। जो पाठक किसी लेखक की कहानी को पढता है, उसे ही पता है असल मायने में उसके लिए लेखक क्या चीज है। बाकी जिसने कभी कहानियों की तरफ देखा ही नहीं, उसे क्या पता कहानी क्या होती है और एक लेखक क्या होता है।”
    
    इतना कहकर वह दोबारा अपनी कहानी लिखने लगा। मानवी कुछ देर खामोश रही मगर इसके बाद बोली “लेकिन समाज में हर तरफ तुम्हें पाठक तो नहीं मिलेंगे ना, तुम्हें ऐसे लोग भी मिलेंगे जो तुम्हारे पाठक ना होकर आम समाज का हिस्सा होंगे। तुम खुद को उनके सामने कैसे पेश करोगे। क्या तुम उन्हें यह बताओगे कि तुम एक लेखक हो। अगर तुम ऐसा बताओगे तो वह तुम पर हसेंगे।”
    
    शख्स ने इस बार अपना लैपटॉप बंद कर दिया। लैपटॉप बंद करने के बाद उसने मानवी की तरफ देखा और कहा “तो फिर तुम क्या चाहती हां बताओ, क्या तुम यह चाहती हो कि मैं लिखना छोड़कर कुछ और बन जाऊं, कुछ ऐसा जिसके बाद दुनिया में मेरे नाम का डंका बजने लग जाए, यही ना, तो मैं कातिल बन जाता हूं, दो-चार लोग मार देता हूं, कातिल बनने के बाद लोग मुझसे डरेंगे भी और मेरे नाम का डंका भी बजेगा। देखना गली की दीवारों पर मेरे नाम पर पोस्टर टंगे होंगे, अब बताओ इससे ज्यादा इंसान क्या अपना नाम बनाएगा।”
    
    “मेरे कहने का वह मतलब नहीं था..”
    
    “तुम्हारे कहने का कुछ भी मतलब हो मुझे उससे कोई मतलब नहीं। बस तुम इतना समझ लो कि लिखना मेरा शौक नहीं बल्कि मेरी जान है, मुझे मरना मंजूर है मगर में लिखना कभी नहीं छोडूंगा। और तुम जो आजकल बातें करने लगी हो ना, मुझे पता है ऐसा क्यों हो रहा है, तुम यह मत भूलो जॉब करने की परमिशन मैंने तुम्हें दी थी, इसके बावजूद तुम ऐसा सोचोगी तो यह तुम्हारे लिए ही नुकसानदायक है ।”
    
    “अब तुम्हारे कहने का मतलब क्या है... इस बात में तुम्हारी परमिशन और मेरी जॉब का क्या लेना-देना है।”
    
    “क्या लेना-देना है....” शख्स ने अपने दोनों हाथ फैलाते हुए कहा “इसमे तो इसका सारा का सारा लेना-देना है। ना मैं तुम्हें जॉब की परमिशन देता, ना तुम जॉब पर जाती, ना तुम्हें अच्छा सैलरी पैकेज मिलता, और ना आज तुम यह सोच रही होती कि एक लेखक की समाज में क्या वैल्यू है। यह सब सोच तुम्हारे मन में इसलिए आई क्योंकि तुम आज अच्छा खासा पैसा कमा रही हो, इतना पैसा जो मैं शायद तीन या चार किताबों को लिखने के बाद भी नहीं कमा सकता। होता है, इंसान को कामयाबी मिल जाए तो उसका उड़ना बनता है, मगर मानवी तुम इतना भी मत उड़ो कि जब जमीन पर गिरा तो गंभीर चोटें लग जाएं। इंसान को उतना ही उड़ना चाहिए कितना उड़ने के बाद वह जमीन पर सुरक्षित नीचे आ सके।”
    
    “अब तुम यह बे मतलब की बातें कर रहे हो। मेरे दिमाग में ऐसा कुछ भी नहीं आया। मैं बस इसलिए कह रही थी क्योंकि मैंने कभी किसी लेखक को कामयाब होते नहीं देखा।”
    
    “तुमने कभी किसी लेखक की किताबें पढ़ी हो तो देखा हो ना, बताओ तुमने आज तक कौन से लेखक को पढ़ा, क्या कभी तुमने जेके रॉलिंग को पढा है, आज वह जो भी है अपनी कहानियों की वजह से हैं, उसकी 8 कहानियों ने उसे एक ऐसी शख्सियत बना दिया है कि बच्चा बच्चा उसका नाम जानता है। अगर वह उसका नाम नहीं जानता तो उसके रचे किरदार हैरी पॉटर का नाम जानता है। तुम कभी भी किसी लेखक को कम समझने की भूल मत करना। मैंने तो अभी तुम्हें सिर्फ एक लेखक का नाम बताया है, ऐसे ढेरों लेखक हैं जो सिर्फ और सिर्फ अपनी कहानी की वजह से कामयाब हुए।”
    
    “लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता।” मानवी ने कहा “अगर दुनिया में 1 लाख लोग कहानी लिख रहे हैं तो उसने बस एक लेखक ही कामयाब होता है। बाकी के लेखक को तो उसके घर वाले ही नहीं जान पाते। तुम बताओ तुम्हारे घर में कितने लोग जानते हैं कि तुम एक लेखक हो। तुम्हारा घर तो दूर की बात यहां हमारे पड़ोस में भी किसी को नहीं पता तुम एक लेखक हो। कोई तुम्हारा नाम तक नहीं जानते।”
    
    “तो इससे क्या पता चलता है, क्या इससे यह पता चलता है मेरा प्रोफेशन खराब है, क्या इससे यह पता चलता है लिखना खराब है, क्या इससे यह पता चलता है कि लेखक होना खराब है, पता है, जिस तरह की सोच तुम दिखा रही हो उस तरह की सोच अगर बाकी के लोग भी दिखाने लग जाए तो इस दुनिया से इमैजिनेशन नाम की चीज ही खत्म हो जाए। इमैजिनेशन होगी तो हमें ऐसी चीजों के बारे में पता चलेगा जिसके बारे में कल्पना नहीं की जा सकती। स्टार वार जैसी फ्रेंचाइजी सिर्फ और सिर्फ इसीलिए निकल कर बाहर आई थी क्योंकि उसके बारे में इमैजिनेशन किया गया था। और वो इमैजिनेशन जिसने किया था वह एक लेखक था। और तुम्हें पता है, उस लेखक को भी आसपास के लोग नहीं जानते थे। लिखने के लिए कभी यह जरूरी नहीं होता आसपास कोई आपको जानता है या नहीं, लिखने के लिए बस यह जरूरी होता है कि आप लिख पाते हैं या नहीं। लिखने के लिए जो इमैजिनेशन करनी पड़ती है वह करना हर किसी के बस की बात नहीं होती।”
    
    “मुझे नहीं लगता हमारी इस बहस का कोई नहीं निचोड़ निकलने वाला है। मैं मानती हूं लेखक होना एक अलग तरह का टैलेंट होता है, मगर तुम इस बात को भी कभी नकार नहीं सकते की एक लेखक अपनी जिंदगी में सिवाय दो वक्त का खाना खाने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकता। वह अपने परिवार को खुश नहीं रख सकता, अपनी पत्नी को खुश नहीं रख सकता”
    
    “क्या मैं तुम्हें खुश नहीं रखता...”
    
    “रखते हो, मगर इतना ज्यादा नहीं जितना बाकी के लोग रखते हैं, तुमने कभी यह क्यों नहीं सोचा जब हमारे बच्चे हो जाएंगे तब क्या होगा, तब क्या तुम्हारा लेखक होना उनके लिए फायदेमंद साबित होगा, क्या तुम उन्हें वह हर खुशी दे सकोगे जो वह चाहते हैं।”
   
    शख्स ने अपनी आंखें बंद की और होठ गुस्से से भींच लिए। इसके बाद वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और लैपटॉप उठा लिया। लैपटॉप उठाने के बाद उसने कहा “मुझे मेरी पहली कहानी में किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं करनी है, मुझे इसे अच्छे से लिखना है तो मैं यहां से जा रहा हूं। वेयर हाउस खाली पड़ा है तो वहां लिखने का काम करूंगा। रही बात तुम्हारी, तो जब तक मेरी कहानी पूरी नहीं हो जाती तब तक तुम रहो अपने इस बदले हुए ख्यालों वाली दुनिया में। कहानी पूरी होने के बाद मैं देख लूंगा तुम्हारे साथ क्या करना है क्या नहीं।”
    
    शख्स बोला और सीधे लैपटॉप के साथ अपने घर से बाहर निकल गया। मानवी ने उसे पीछे से रोकने की कोशिश तक नहीं की। बस उसने अपने सर के बालों को नोचा और नहाने के लिए बाथरूम की तरफ चली गई।
    
    बाहर आने के बाद शख्स ने अपनी कार पकड़ी और उसमें बैठते हुए मन में बोला “जिंदगी जब किसी ऐसे दोराहे पर आकर खड़ी हो जाती है जहां आपको सही या गलत दोनों में से किसी का पता ना चले, तब आपका उस दोराहे से दूर रहना ही बेहतर है। मैंने मानवी के लिए सोचा था जब वह बाहरी दुनिया में जाएगी तो दिमागी पागलपन से बच जाएगी, लेकिन अब मुझे लग रहा है कि मेरा फैसला गलत था। मैं ऐसा करके मानवी को दिमागी पागलपन से तो बचा लूंगा, मगर मैंने यह कभी नहीं सोचा, वो जो समाज के दिखावेपन वाली जिंदगी का सामना करेगी उससे कैसे बचेगी।” वह अपने मन की दुनिया में भी गुस्से में था। “इन सबके बावजूद मुझे देखने वाले लोगों को मैं ही गलत लगता था। देखने वाले लोग सिर्फ देख सकते हैं ना, इसके अलावा उनके बस में कुछ भी नहीं। जबकि सच्चाई क्या है यह तभी पता लगती है जब उसके दूसरी और के हालात निकल कर सामने आते हैं। अब बताओ, क्या मेरा मानवी को बाहरी दुनिया में ना भेजने का डिसीजन गलत था। क्या मैं अपनी जगह गलत था। शायद बिल्कुल भी नहीं। कुछ लोग होते ही इसी लायक है।”
    
    उसने कार को घुमाया और उसे अपने वेयर हाउस की तरफ ले लिया। 
     
    ★★★

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